246. दुनिया तो कहती हमें बेकार,
क्या समझा तुमने भी हमें बेकार,
लेकिन हमने तुम्हें माना सरकार,
सच बताऊं,
यही था हमारे जमीर पर सबसे बड़ा थिक्कार |
Author - Vikash soni *
247. में पैसा कमाता हूँ मगर ना जाने कहा समा जाता,
ना दिल के, ना दुकान के, ना घर खानदान, किसी के भी काम ना आ पाता,
मुद्दतों बाद निकला हूँ बाजार में दो पल सुकुन के खरीदने,
मगर जेब खाली है मेरी, ये सब को बताया इस गरीब ने |
Author - Vikash soni *
248. गहरे पानी को छेड़ रहे हो,
क्या डूबने का इरादा है,
अगर डूबना ही है तो,
इश्क़ करलो किसी हसीना से,
बराबर तड़पो गे ये मेरा वादा है |
Author - Vikash soni *
249. सोने की चिड़िया को कुछ गिद्ध नोच कर बैठे है,
हम लोग तब से अपनी हाथ की हथेली मलकर बैठे है,
और कौन सा त्यौहार,कौन सी ईद, कौन सी दिवाली,
कौन सी बैशाखी,कौन सा किरस्मस, तुम साथ मिलकर मानते हो,
बस इसी बात का भायदा उठाने, कुछ गैर सामने बैठे है |
Author - Vikash soni *
250. क्या बात है इस कायनात की,
हमें तोफे मिली सौगात झूठे यार की,
मोहब्बत हम दोनों ने बेइंतहा की एक दूसरे से,
मगर,
शादी की बात आई तो वो निकली बेटी ऊंची जात की |
Author - Vikash soni *
251. मेरे घर वालों को डर लगता कही में हार ना जाऊं,
इसलिए वो चाहते है कि में घर से बहार ना जाऊं,
अगर मेरी जीत और हार का फैसला वहां बहार ही होगा,
तो पूछना मुझे अपने घर वालों से,
इसमें भला क्या मेरा, जो में घर से बाहर न जाऊं |
Author - Vikash soni *
252. इश्क़ हमने भी किया इस जामने में,
मगर हमने उसकी नुमाइश नहीं कि,
अगर एक बार उसने माना कर दिया मिलने को,
तो हमने उससे दोबारा गुजारिश नहीं कि |
Author - Vikash soni*
253. हमने तो मोहब्बत करी है तुमसे, लेकिन तुम्हें मोहब्बत हमसे नहीं,
तुम्हारे हर तानों का हमारे पास, बस जवाब है यही |
Author - Vikash soni*
254. यारों किस मोड़ पर होगी मुलाकात में कह नहीं सकता,
तुम्हें भूल जाने का गुनाह में कर नहीं सकता,
तो मेरे इस दिल में रह जाओ तुम सब,
इससे ऊपर जगह में तुम्हें दे नहीं सकता|
Author - Vikash soni*
255. क्यों खामखा किसे से दिल लगाना
फिर हॉस्पिटल का बिल बढ़ाना
अरे अपने में मस्त रहो
भला इस में क्या मजा
किसी और के लिए अपना दिल जलाना
Author - Vikash soni*
256. हमने बेवफाई का झूठा इल्ज़ाम कुबूल किया,
मगर किसी को कहने न दिया,
तुमने उस मासूम को तबाह किया,
हमारे सर की छत तक गिर चुकी थी यारों,
और उसे लगता है कि हमने उसका सपना उजाड़ दिया।
Author - Vikash soni*
257. मन कहे मेरा कि अब तो संभल जा,
के पैसों के बाजार में दिल नहीं बिकता,
भले मुस्कुराना कमाल कि,अदाकारी है तुम्हारी,
मगर इस मुस्कुराहट के पीछे का गम किसी को नहीं दिखता |
Author - Vikash soni*
258. तुझ पर अपना सर भी क़ुरबान कर देते ए मज़हब
बस तुने पत्थरों से ना तोड़ा होता किसी मासूम का आशियाना
Author - Vikash soni*
259. या मेरा भगवान,या उसका खुदा, या तेरा god, या किसी का रब,
ध्यान से देखों एक ही तो है सब
Author - Vikash soni*
260. हमें क्या रात सताएगी
ना जाने कितनी रातें हमने नाव किनारे पर ठेली हैं
इस चांद की रोशनी के मोहताज नहीं हैं हम
हमारे पास जुगनुओं की चमचामती टोली है।
Author - Vikash soni*
261. मेरे हिज्र का चेहरा दिखा कर जाऊँगा,
थोड़ा नहीं पूरा तबाह करके जाऊँगा,
और जो तुम दो मीठी बातें करके,
किसी को भी अपना क़रीबी बना लेती हो,
इस रीत को मैं पूरा मिटा कर जाऊँगा।
Author - Vikash soni*
262. अब ना हम आएंगे ना हम जैसा कोई यहाँ आएगा,
शायद ही अब कोई तुम्हें मेरे जैसा बहलाएगा,
अब जायेगे वहाँ जहाँ मुक़द्दर हमें बुलाएगा,
देखना की इस बार वो हँसाता है हमें या वापस फिर से रुलाएगा |
Author - Vikash soni*